नोटबंदी – एक ऐतिहासिक और सफल निर्णय

सीमा-पार आतंकवाद पर लगाम लगाने, काला धन के चपेट से अर्थव्यवस्था को बचाने और लेन-देन में पारदर्शिता लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व-वाली बीजेपी सरकार ने ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी नोटबंदी का कदम एक साल पहले उठाया था। 500 और 100 के नोटों का चलन एकदम से बंद करने से निःसंदेह कुछ अल्पकालिक तकलीफें हुई है। लेकिन, नोटबंदी की दूरगामी सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। आनेवाले समय में और भी अच्छे नतीजे निश्चित ही उभर कर आएंगे।

पेश है नोटबंदी के कुछ महत्तवपूर्ण परिणाम:

#काले धन पर बड़ा प्रहार

नोटबंदी की वजह से 18 लाख संदिग्ध बैंक खातों की पहचान संभव हुई और 2.89 लाख करोड़ रुपए जांच के दायरे में हैं। यह भी नहीं, एडवांस्ड डाटा एनालिटिक्स के जरिए 5.56 लाख नए मामलों की जांच की जा रही है। इसके अलावा 4.5 लाख से ज्यादा संदिग्ध लेन-देन सामने आया है। नोटबंदी के बाद 16 करोड़ रुपए का काला धन वापस ही नही आया। साथ ही करेंसी सर्कुलेशन में  21% तक की कमी आयी है।

#टैक्स अनुपालन में वृद्धि

नोटबंदी के बाद देश के टैक्स प्रणाली में 56 लाख नए कर-डाटा जुड़ पाए। साथ ही साथ टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में पिछले साल के 9.9% के मुकाबले 24.7% की बढ़ोत्तरी हुई। व्यक्तिगत आय-कर के अग्रिम टैक्स संग्रह में पिछले साल की तुलना में 41.79% का इजाफ़ा हुआ।

#वित्त व्यवस्था की सफाई

3 लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियों का पता लग गया और सरकारी एजेंसियां जांच कर रही है। करीब  2.1 लाख फर्जी कंपनियों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। इस के अलावा, 400 से अधिक बेनामी लेन-देन की शिनाख़्त कर, 800 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की सम्पत्ति जब्त की गयी है।

#डिजिटल इंडिया की और अग्रसर
नोटबंदी की वजह से डिजिटल ट्रांसेक्शन में लोगों की जागरूकता बढ़ गयी और 56 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई। नकदी-रहित लेन-देन अब आम बात हो गयी है।

संक्षिप्त में, नोटबंदी देश की आर्थिक ही नहीं, बल्कि समाजिक उन्नति के लिए भी एक बहुत ही प्रभावी कदम था। मोदीजी जैसे शक्तिशाली प्रशासक एवं लोकप्रिय नेता ही ऐसी क्रांतिकारी कदम उठाने में सक्षम है।

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